प्रकरण 2 निर्गुण धारा ज्ञानाश्रयी शाखा कबीर इनकी उत्पत्ति के संबंध में अनेक प्रकार के प्रवाद प्रचलित हैं। कहते हैं, काशी में स्वामी रामानंद का एक…
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सामान्य परिचय देश में मुसलमानों का राज्य प्रतिष्ठित हो जाने पर हिंदू जनता के हृदय में गौरव, गर्व और उत्साह के लिए वह अवकाश न रह…
वीरगाथा काल के समाप्त होते-होते हमें जनता की बहुत कुछ असली बोलचाल और उसके बीच कहे-सुने जानेवाले पद्यों की भाषा के बहुत कुछ असली रूप का…
देशभाषा काव्य पहले कहा जा चुका है कि प्राकृत की रूढ़ियों से बहुत कुछ मुक्त भाषा के जो पुराने काव्य जैसे बीसलदेवरासो, पृथ्वीराजरासो आजकल मिलते हैं…
प्रकरण 2 अपभ्रंश काव्य जब से प्राकृत बोलचाल की भाषा न रह गई तभी से अपभ्रंश साहित्य का आविर्भाव समझना चाहिए। पहले जैसे ‘गाथा’ या ‘गाहा’…
सामान्य परिचय प्राकृत की अंतिम अपभ्रंश अवस्था से ही हिन्दी साहित्य का आविर्भाव माना जा सकता है। उस समय जैसे ‘गाथा’ कहने से प्राकृत का बोध…
समालोचना आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, आचार्य शुक्ल के सबसे बङे आलोचक माने जाते हैं। डाॅ. गणपति चन्द्र गुप्त के शब्दों में “संभवतः द्विवेदीजी सबसे पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने आचार्य…
इस ग्रन्थ में आदिकाल यानी वीरगाथा काल का अपभ्रंश काव्य एवं देश की भाषा काव्य के विवरण के बाद भक्तिकाल की ज्ञानमार्गी, प्रेममार्गी, रामभक्ति शाखा, कृष्णभक्ति शाखा तथा…
हिन्दी साहित्य हिन्दी भाषा का रचना संसार है। हिन्दी भारत और विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। उसकी जड़ें प्राचीन भारत…