समालोचना
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, आचार्य शुक्ल के सबसे बङे आलोचक माने जाते हैं। डाॅ. गणपति चन्द्र गुप्त के शब्दों में “संभवतः द्विवेदीजी सबसे पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने आचार्य शुक्ल की अनेक धारणाओं और स्थापनाओं को चुनौती देते हुए उन्हें सबल प्रमाणों के आधार पर खण्डित किया है।” द्विवेदी जी ने शुक्ल के वीरगाथाकाल को ’आदिकाल’ नाम दिया।
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